भीगी सी पलकों से

भीगी सी पलकों से तेरा इंतज़ार करते हैं
जाने क्यों इतना बेकरार हमको सरकार करते हैं

नहीं सम्भलते यह तूफान ए इश्क़ हमसे
सम्भाल लो तुमसे यही दरकार करते हैं

मुद्दतें गुज़ार दी हमने तुझसे दूर रहकर
अब भी कहाँ हम पूरा इज़हार करते हैं

चीर दो यह जिस्म बस यह रूह तेरी है
कहाँ हम बसर नफरतों के बाज़ार करते हैं

अब साँस भी न आए तेरी याद के बिना
जीना भी गंवारा नहीं क्यों उम्र बेकार करते हैं

भर दो इस रूह में इश्क़ अपना इस कद्र
कि हम लहू से नहीं इश्क़ से रह गुज़ार करते हैं

छिपा लो अब अपने ही आगोश में हमको
मुद्दतों से बस इसी पल का इंतज़ार करते हैं

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून