आपहुँ लेयो बचाय
हरिहौं आपहुँ लेयो बचाय
बाँवरी भोग पकावै निशिबासर जगति दौरि जाय
अपनी ओर बुलावो हरिहौं भोगन रस रहै पाय
भजनहीन पतित बाँवरी हिय भोग नित फूलत जाय
हरिहौं कस कस चपत लगावो तुमहरे किये होय सुधार
विषय वासना त्यागै बाँवरी कबहुँ पावै नाम रस सार
हरिहौं आपहुँ लेयो बचाय
बाँवरी भोग पकावै निशिबासर जगति दौरि जाय
अपनी ओर बुलावो हरिहौं भोगन रस रहै पाय
भजनहीन पतित बाँवरी हिय भोग नित फूलत जाय
हरिहौं कस कस चपत लगावो तुमहरे किये होय सुधार
विषय वासना त्यागै बाँवरी कबहुँ पावै नाम रस सार
Comments
Post a Comment