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Showing posts from September, 2017

मोहना तेरी मुरली

मोहना या मुरलिया मोहत रह्यो हिय मेरो पुनि पुनि प्रेम सुधा बरसावै नाम टेरत रह्यो तेरो मुरलीधर हे मनमोहन मुरली ये रस आनन्दिनी अधर सुधा रस चाखत रह्यो नित्य रहे संगिनी क्षण ...

तेरी सरगम

अब छूटती नहीं मुझसे यह मधुर सरगम तेरी तेरा ही नाम ले लेकर मुझे पिलाती जाती है जानती है सब ख्वाहिशें मेरे दिल की यह सभी तेरा नाम ले लेकर मुझको रिझाती जाती है तुमसी ही हसीन है स...

सुर तेरे

जाने क्यों तेरा नाम सुन अरमान मचलने लगे जल रहे हैं कुछ इस तरह पल पल पिघलने लगे अब यह जलना भी मुझे बहुत सुकून देता है कैसे थे कैसे हुए हम जाने क्यों बदलने लगे तेरी सरगम जाने क्...

बारिश

मुझको मुझसे चुराने की आज फिर साज़िश हुई भीग गए तेरे इश्क़ में यूँ आज ऐसी बारिश हुई कुछ पल तुम रहे अब क्यों हूँ मैं यह दर्द है जाने क्यों पल पल बदलने की आजमाइश हुई तुम चुराते हो ध...

तेरी पुकार

तेरी पुकार आह !!! रोम रोम में बस गई जैसे खींच रही मुझे मुझसे ही तेरी पुकार तेरी पुकार भूला रही है सब मुझे याद है बस तू और तेरी पुकार तेरी पुकार मचा रही हलचलें भीतर उतर कर बाक़ी ह...

हरि का सिमरण ३३

क्यों गवावे मानुष जन्म अनमोल हरि का सिमरण करले मनवा व्यर्थ तराज़ू में मत तोल हरि का सिमरण करले मनवा बीत गयी तेरी सारी उमरिया इक पल हरि ना ध्याया जन्म बिताया विषय चिंतन में म...

लोभे विकार न जावे ३४

साहिब मेरो लोभ विकार न जावै भावै मोहे जगत को षडरस हरिनाम न सुहावै जन्मन की जड़ता होवै ऐसो नित्य विकार बढ़ावै जितनो चाखो उतनी बाढ़े पिपासा बढ़ती जावै ऐसो लोभे होवै भजन को तबहुँ ...

भजन को लोभी ३५

जो मैं होतो भजन को लोभी तेरो प्रेम मैं पातो लोभ राखतो हरिनाम को तेरो ही गुण गातो हरिनाम रस चाख चाख उर आनन्द न समातो हाय मैं रह्यो विष्ठा को लोभी हरिनाम न भातो आपहुँ कृपा कीजौ ...

भोरी सखी भाव रस

अपनी प्रिय स्वामिनी जु प्यारी जु श्रीराधा जु को उनकी सखी कहती है प्यारी जु मोय क्या स्वप्न आय रह्यो। प्यारी जु सखी के मुख की ओर देखने लगती है और उत्सुक हो जाती है कि सखी के हृ...

श्रीधाम आश्रय कैसा हो

श्रीधाम आश्रय कैसा हो श्रीधाम वृन्दावन !!! यह नाम ही किसी रसिक हृदय को पुलकित कर देता है।भक्तमाल उन रसिक संतों की वाणी कहता अघाता नहीं है जो श्री धाम का नाम सुनते ही रोमांचित ...

बात और है

कहने की बात और है होने की बात और है हम खुद को ही न सुन सके रूह तलक ऐसा शोर है लिखा बड़ा कहा बड़ा तेरे इश्क़ का फलसफ़ा ख़ाली थे ख़ाली ही रहे न कुछ भी भीतर गया जो हम को बांध लें कभी बन पाई न व...

तुमहीं नाथा ३६

मुझ निर्बल का बल नहीं नाथा कोऊ मेरा बल होवो आप चरणों की रज करना नाथा मिटे मेरो सकल संताप नाम ध्यान कछु विधि न जानूँ बांवरिया दियो जनाय आप काटो भव बन्धन मेरो नाथा कबहुँ मिटे ज...

आसान नहीं

अपने अश्कों को लफ़्ज़ों में लाना आसान नहीं सांस रहती तक तुझको भुलाना आसान नहीं अब यह अश्क़ ही तो बन गए दौलत मेरी तुम ही तुम सिर्फ रह गए हो चाहत मेरी ऐसी चाहत में और चाहत मिलाना आ...

बाँवरी को सच ३७

बाँवरी तू बाँवरी रही करत रही सदा अपने जिय की जगत माँहि झूठो रस लोभे बात भूल रह्यो पिय की कूकर सम विष्ठा माँहिं लौटत भजन बात लगे फीकी हरिनाम हरिभजन बिन मूढ़े बनत नाँहिं रहनी न...

श्रीकृष्ण चैतन्य ३९

राधाभाव कांति धारी श्रीकृष्ण चैतन्य प्रकटे नदियाबिहारी श्रीकृष्ण चैतन्य गौरांग पीत पट श्रीकृष्ण चैतन्य कृष्णप्रेमोन्मत्त श्रीकृष्ण चैतन्य कृष्ण कृष्ण उच्चारें ...

गम की इंतहा

कभी भी मेरे इस गम की इन्तहा न हो तेरा ख्याल मेरे दिल से कभी जुदा न हो कभी इन आँखों की नमी कम न होने पाए चीख बन भीतर ही रहे बस हम न रोने पाएँ कभी यह दर्द खत्म होने की दुआ न हो कभी भी म...

फिर से

फिर से मैं गुम हूँ वही दरिया का किनारा है आज तन्हाइयों ने फिर से मुझे पुकारा है फिर से दर्द ओ गम की लहरें आया करती हैं तेरी यादें ही मुझे कितना रुलाया करती हैं आती जाती हर लहर ...

याद तुम्हारी

जिस पल न हो याद तुम्हारी ऐसा कोई पल न हो ऐसा सम्भव आज भी न हो और ऐसा कल न हो उतनी साँसे मुझको देना जिनमे नाम तुम्हारा हो सब जग ने मुँह फेर लिया केवल तुमहीं सहारा हो आपके बल से रहू...

तन्हाई

आज फिर खुद को तनहा पाया है अब मेरे साथ फ़क़त मेरा साया है फिर से याद आई भूली बिसरी बातें वो हसीन दिन वो सब दर्द भरी रातें आज आँखों ने जाने क्या बरसाया है आज फिर खुद...... ये अकेलापन कभ...

भजन की बात ३८

भजन की कोऊ बने न बात अति कषाय होय हिय मेरो नाथा हरिरस बिन न अकुलात लौटत फिरूँ पुनि पुनि जग बीथन नामरस न  मोहे सुहात बाँवरी कबहुँ नाम जपे री बैठी रहे तू बहु जन्म गमात नेक करुणा...

नाम महिमा ४०

नाम महिमा पुनि पुनि सुनाय दीजौ नेक नाम रस आवै पुनि पुनि पकर राखूँ चँचल मन जो भागत मोय भगावै नाम की रस्सी पकर के राखूँ ऐसो मन इत उत नाँहिं जावै कृपा कीजौ नाथा नाम की मोहे कबहुँ ...

किस विध नाम व्यसन मोहे लागे ४१

किस विध नाम व्यसन मोहै लागे भवसागर में रस अति भारी मन नाम भजन ते भागे कोऊ विधि न जाने बाँवरी मन नाम मे कैसो लागे आप ही कृपा कीजौ नाथा कबहुँ मन विषय त्यागे नाम बिन भव सिंधु तरत ...

नाथ मोहै हरि नाम रस दीजौ ४२

नाथ मोहे हरि नाम रस दीजौ पाप त्रिताप सकल मेरो नासे कृपा कोर अब कीजौ गौर निताई नाम रटे जिव्हा जितनी स्वासा आवै तुम्हरी शरण पड़े जो नाथा माया कित भरमावै यही अरजोई करे बाँवरी न...

मेरो ठौर ४३

नाथ मेरो ठौर तुम होय मेरी गति मति तुमहीं सों और ठौर न जानू कोय जय गौरांग गौर हरि बोलूँ नित हाथ उठाये दोय जन्म जन्म गमाई बाँवरी अबहुँ बिरथा बैठी रोय अबहुँ भज ले गौरहरि को ऐसो क...

हा हा नाथ४४

करुणामयी अबहुँ करुणा कीजौ करुणामयी नाम धराय रहे प्रेम अंकुर शुष्क हिय माँहिं फूटै प्रेम अवतार बन आय रहे दाह मेटो मेरो उर अन्तर की नाथा मोहे विषय विकार जलाय रहे पतितपावन र...

कैसे हम सुनाएँ

कैसे हम सुनाएँ दर्द भरे अफसाने मोहना तेरी याद में रोएँ तेरे दीवाने हमसे न इश्क़ होगा मोहना तेरे जैसा तुमको ग़र हो इश्क़ तो आ जाओ निभाने मेरे झूठे से अश्कों पर तुम नहीं जाना तुम न कभी रूठना मैं कैसे आऊँ मनाने है ये नशा मोहब्त का तेरा इश्क़ अजब है दिन रात पीते हैं ऐसे तेरे मयखाने तेरा ही जिक्र करते रहें तेरी महफ़िल में हम आजा तू भी मिलने कभी किसी भी बहाने लम्बी सी काली रातें काटे नहीं कटती भरते नहीं हैं जल्दी से कुछ जख्म पुराने झूठा सा ही लगता है मुझे इश्क़ अपना तू ही सिखा दे प्यारे हम कुछ भी न जानें और कितने इम्तिहान अभी बाकी हैं मेरे तू ही बता दे जिंदगी हम नादान क्या जानें कैसे हम सुनाएँ दर्द भरे अफसाने मोहना तेरी याद में रोएँ तेरे दीवाने

अहो मैं पूर्ण सद्गुरु पाया ४५

अहो मैं पूरण सद्गुरु पाया शरण राख्यो सद्गुरु मेरो अपनी मुख ते नाम जपाया जगत के विषय बन्धन मेरो काटे मुख पर हरि हरि आया भटक रही थी मेरी नैया सद्गुरु आप ही पार लगाया चंचल मन गु...

गुरु चरण को ही सकल बल ४६

गुरु चरण को ही सकल बल होय आपहुँ हाथ देय गुरु राखे गुरु कृपा सों बल न कोय गुरु को मानुस न मानिहै हरि स्वयम गुरु रूप ही होय जय गुरुदेव जय गुरुदेव कहे बाँवरी हाथ उठाये दोय गुरु च...

गौर कृपा

गौर कृपा गौर कृपा क्या है । श्री गौरांग प्रभु का एक नाम ही कोटि जन्म के पाप भस्मीभूत कर देता है तो उनका नाम जिव्हा पर आना ही वास्तविक गौर कृपा है। श्री कृष्ण प्रेमावतार हैं प...