क्यों है
मेरी किस्मत में लिखी लम्बी सी जुदाई क्यों है
बाहर है बड़ा शोर रूह तलक तन्हाई क्यों है
क्यों निकलती नहीं इस दिल से तेरी याद पलभर
हवा भी छूकर मुझे तेरी याद दिलाई क्यों है
क्यों इश्क़ की दुश्मन ही रही दुनिया मुद्दत से ही
मेरे मौला तूने ऐसी दुनिया ये बनाई क्यों है
जलते से सुलगते से क्यों रहते हैं अंदर अंदर
फिर भी यह कसक इस दिल को भाई क्यों है
यह दिल ए नादान समझे न फलसफ़ा ए इश्क़
अच्छे भले समझते थे यह नादानी आई क्यों है
तुमको समझें या इस दुनिया को बताओ ज़रा
मुझ पर तेरे इश्क़ की बेखुदी यूँ छाई क्यों है
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