तुम इक तरफ हम इक तरफ
मुद्दत से हम तुम वहीं खड़े ,नदी के साथ बहते भी
तुम इक तरफ़ हम इक तरफ
मुद्दत से हम न मिले ,मिलते हुए चाहे रहते ही
तुम इक तरफ हम इक तरफ़
मुद्दत से हम ख़ामोश हैं ,बिन सुने सब सुनते ही
तुम इक तरफ़ हम इक तरफ़
मुद्दत से तुमको देखा न , नज़र में सिमटे रहते ही
तुम इक तरफ़ हम इक तरफ़
मुद्दत से तमन्ना पीने की , घुलते हुए चाहे रहते ही
तुम इक तरफ़ हम इक तरफ़
कभी देखूँ , छूलूँ, सुन सकूँ कभी तुमको मिलते ही
तुम इक तरफ़ हम इक तरफ़
शायद यह ऐसी प्यास है , जिसका कोई इलाज़ न
न कल तक हमको सुकून था, मिला सुकून आज न
मिले भी हैं अनमिले, सुनकर भी रहे हम अनसुने
यही तो प्यास ए इश्क़ है,यही तो गहरा राज़ है
तुम इक तरफ़ हम इक तरफ़
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