उनका प्रेम

उनको तो निभानी आती है आशिकी हर हद से परे ही
अपनी ही जुबान न कभी उलाहने से थकती है
वो तो खड़े हैं सदा से राह ए मोहबत में यूँ सजकर
हमारी ही नीयत उन राहों में मुड़ जाने से थकती है

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