मेरे दर्द

आज मेरे दर्द फिर छेड़ गया कोई
तेरी तस्वीर मेरे दिल से निकाल हाथ में देकर

मत जलाओ कि दिलजले पहले ही यहां हैं
धुआँ सा उठ गया तो बदनाम हो जाएंगे

इश्क़ की बारिशें भी क्या खूब होती हैं
लगती है आग दिल मे क्यों आँखें रोती हैं

अब तू बता ज़रा खामोश रहूँ किस क़दर
भीतर सुलगती आग है जलने के है सफ़र

रोक सको तो रोक लो तूफान यह सारे
अब खुद का बस नहीं है दिल तुमको पुकारे

इस कलम को खामोश ही रहने दो तो अच्छा
बेखुदी में क्या लिखेगी रुसवाईयाँ सारी

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