सन्तन की चरण रज
सन्तन की चरण रज लहियै
कान देय सुने सद्गुरु बातां, पुनि पुनि हिय बैठइयै
मुख सों व्यर्थ न वाणी निकसै,युगलनाम गुण गइयै
प्रेम मार्ग के होय पथिक जो, जगत दियो बिसरइयै
नाम धाम सन्तन कृपा सों, हिय श्यामाश्याम ख़िलइयै
सन्तन की चरण रज लहियै
कान देय सुने सद्गुरु बातां, पुनि पुनि हिय बैठइयै
मुख सों व्यर्थ न वाणी निकसै,युगलनाम गुण गइयै
प्रेम मार्ग के होय पथिक जो, जगत दियो बिसरइयै
नाम धाम सन्तन कृपा सों, हिय श्यामाश्याम ख़िलइयै
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