सोहनी पद

अहो बढ़भागनी सोहनी श्रीनवल निकुंज को श्रृंगार
प्रियाप्रियतम चरण रज नित धर मस्तक करती स्वीकार
मो सम पतित मलिन हिय की कर दीजौ तनिक बुहार
जन्मन की जड़ता छुट जावै पाछे होय प्रेमरस विस्तार
बढ़भागी युगल सहचरी होवै पायौ नवल निकुंज को सार
वन्दन शत शत प्रणाम स्वीकारो दीजौ सेवा तृषा अपार

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