रसिकन की जूठन

रसिकन की जूठन मिले कौर कौर नित खाऊँ
रसिक चरणन माँहिं नित्य नित्य डोलूँ हरिनाम रस पाऊँ
हरि गुरु नेह बढ़त रहे निशदिन युगलनाम रति पाऊँ
कृपा कीजौ बाँवरी दासी पर नाम कृपा नित चाहउँ
सेवा मिले युगल चरणन माँहिं नित श्यामगौर रिझाऊँ

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