हिय वासा
हरि हिय करो ऐसो वासा
नाम भजन देयो मोहे नाथा और न कोऊ धन की आसा
नाम धन मेरो नित नित बाढ़े क्षण क्षण प्रति स्वासा
नाम को व्यसन लगे मोहे नाथा कीजौ हिय माँहिं प्रकासा
इत उत की भटकन सब जावै निकसै उर सों घोर निरासा
आपहुँ हाथ पकरि मोहै राखो तुमहीं ठौर तुमहीं विस्वासा
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