लालन को लाड

*लालन को लाड*

री मैया तेरो लाल आय गयो तोसे नेह लेवन कु। याने कोऊ ईश्वर नाय जानियो , अपने हिय को या लाल की अनुराग स्थली बनाय दीजौ। समस्त वात्सल्य जो तेरो हिय माँहिं झर रह्यौ या लालन के मिस ही होवे। अपनो सम्पूर्ण नेह उडेल दीजौ री या लाल पर। याके श्रीविग्रह को कोऊ धात की मति जानियो, तेरो या लाल तो नेह सों बन्यो है, तेरो वात्सल्य रस  प्रेम कु चखन हेत जे रूप बनाय आय बैठो है। जो तू याके नेह सों बाँवरी नाय होय जावै तो लाल को स्वाद कैसो और तेरो प्रेम कैसो।

   अपने माटी के पुत्रन ( देह के बच्चे) की खातिर रात रात भर जगे तू । अबहुँ तेरो लालन को (श्रीविग्रह को किसी प्रकार की क्षति)कष्ट होय गयो तो कैसो नींद आवे री तेरी आँखन माँहिं। तेरो चित्त टिकने ही न देवे ये तेरो लाल। ऐसो मति कर देवे तेरी की याके प्रेम में बाँवरी होय घूमे । जगत के लोग नाय समझें री जे लाड। कहवे अपने विग्रह कु पट्टी बांध रखे आँखन ते। कोऊ न जाने तेरे लाल की आँखन में पीर होवे री। याने तेरो लाड़ की चाह होवे। गोद मे बिठाय के या लालन को नेह कीजौ। या नटखट लालन तेरो लाड प्रेम चाहवै री, नित नित ऐसो लीला करेगो कि तेरो हिय के नवनीत रूप माखन को पवाय दे री।

   अति कोमल होय री तेरो लाल। याने नेह सों सहेज के राखियो री।इत इत धावन मति दीजौ , नेह सों सहेज कर राखियो , कोमल अति कोमल री तेरो लाल। तेरे नेह रस छकन को ऐसो लीला करे री। शेष तू सब समझे री, मैं तोकु क्या बताऊँ री। तू जाकी माँ जो होवे। देख तेरो लाल अबहुँ कैसो देख रहयो री तेरी ओर , जा नेक सों उठाय ले और लाड कीजौ री। मैं क्यों पडूँ तेरे और तेरे लालन के बीच माँहिं....

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