पुनि पुनि प्रणाम
पुनि पुनि करूँ प्रणाम मैं हाथ जोड़ कर दोय
नवल निकुंज रेणु को ऐसो महिमा सुनावे मोय
युगल दासिन के सँग सों हिय सेवा भाव उपजाय
बलिहारी इस सखिन पर नित्य युगल को सुख सजाय
बाँवरी भोगी जीव अति नाम भजन न वाणी गाय
सखी तू रस फूली रहे ऐसो नवल रस नित बरसाय।
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