सन्तन कृपा

सब सन्तन को नेह मिले गौर कृपा भई अति भारी
बाँवरी अबहुँ जाग रह्यौ बिन भजन जन्म बिगारी
सब सन्तन चरणन विनय करूँ नाम व्यसन मोहे होय
हरिनाम धन नित नित बाढ़े ऐसो असीस देयो मोय
सन्तन भक्तन की चरण रेणु बाँवरी अपने सीस धराय
भोगी मलिन जीव अति भारी कबहुँ उर हरिरस आय

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