प्रेम अकारण है कोई कारण नहीं कारण हुआ तो वह प्रेम नहीं प्रेम तो एक उछाल है बस एक तरँग सी बह गई छू गयी निकली कहीं से पिघलाती सी कहीं जाने को व्याकुल आखिर कहां?? प्रेम तक ही प्रेम क...
भीगी सी पलकों से तेरा इंतज़ार करते हैं जाने क्यों इतना बेकरार हमको सरकार करते हैं नहीं सम्भलते यह तूफान ए इश्क़ हमसे सम्भाल लो तुमसे यही दरकार करते हैं मुद्दतें गुज़ार दी हमन...
एक बार कान्हा जू का प्यारा सखा मधुमंगल उनसे रुष्ट हो जाता है। उनसे कहता है कान्हा तुम सब सखाओं से प्रेम करते हो और उनको सब मिष्ठान खिला देते हो। मेरा तो तुम ध्यान ही नहीं रखत...
यह ज़िन्दगी भी कम है तुम्हें पुकारने को पुकारने का भी स्वाद कहाँ आया इस रूह को न छुड़वाओ अब मै मयखाना अपने नाम का तेरा नाम ही मुझे अजब नशेमान करता है जाने क्या मय सी पी ली तुझे पु...
तुम्हारी ही रस तरंगों में झूमती गिरती पड़ती कभी तुमहीं में समा जाती तो किसी क्षण विरह की अग्नि दग्ध करने लगती मुझे इस प्रेम वारिधि के तट पर बैठी एक छोटी सी बून्द तुममें ही सम...
हरिहौं कौन भाँति विषय नासै कबहुँ प्रेम रस हिय भीजै होवै हिय प्रकासा भासै चहुँ ओर अंधियारी खाई नाथा पुनि पुनि गिर जाऊँ जन्मन रही साँचो नाथ भुलाई भवसिन्धु गोते खाऊँ हा हा न...
मेरी करुणामयी सरकार लाडली श्रीराधा करे नाम ही बेड़ा पार लाडली श्रीराधा भव सिन्धु में मेरी डोल रही नैया आपही किशोरी बन जाओ खवैया कर दीजौ भव सौं पार लाडली श्रीराधा मेरी करुण...
नाँहिं लिखूँ आली बतियाँ जिय की बिरहन जावै कौन द्वारे री पीर सुनावै हिय की पिय पिय टेर रहूँ अकुलाय सूल चुभी विरह की हाय पीर न लेवत प्राणा कौन गरज रहै देह की अहो पीर प्रेम की पा...
आली री आज बहन देय नैन रोये रोये प्राण तजै री बिरहन बोलै अटपट बैन बिरहन की पीरा कोऊ जाने जो बिरह प्रेम की पावै आपहुँ अग्न जलै उर अंतर सौई बात बिरह की गावै आली री प्रीति कौ मार्ग ...
आली री बाँवरी फिरै बौराई रीति प्रीति की कछु नाँहिं जानी काहे नेह लगाई जोगन होय रही पिय की बिरहन होवत कबहुँ सुनाई पिय पिय टेर रही क्षण क्षण हिय प्रेम की पीर समाई आली पीर बिरह ...
यह जो कसक सी उठ रही है दिल में मेरी तो नहीं इश्क़ तो नहीं पर इश्क़ की बेचैनियां क्यों हैं जाने कौन सा लम्हा अब जान लेकर जाएगा सिसक सिसक कर अब सचमें जिया नहीं जाता आज अश्कों में डु...
मेरी साँसे यूँ छूने को मचलती हैं रोम रोम तेरा इश्क़ की बर्बादियों का खेल ही आता मुझको तुम्हारी साँसों में घुलने का सुरूर है मुझ पर इश्क़ के मयख़ाने की खुमारी न संभलती है हैरान ...
---------*तेरा इश्क़*--------- झूठी सी मुस्कुराहट से यूँ ही दिल बहलाये बैठे हैं अपने अश्कों को हम अपनी आँखों मे छिपाये बैठे हैं चेहरे से पढ़ न ले कोई हाल -ए -दिल अपना एक और दूसरा चेहरा लगाए बैठे ह...
*महाभाव रसराज विलास* श्रीगौर हृदय अपने भीतर सम्पूर्ण निभृत विलास समेटे हुए है। युगल वपु श्रीगौरांग के हृदय की सौरभ महाभाव रसराज की विलास से उठ रही है।इस हृदय में जहाँ क्...
हरिहौं जन्म जन्म दुख पाई हरिभजन का धन न बाँवरी राखी जगति रही भरमाई कौन भाँति हिय चँचल नाथा तुम्हरौ चरण पावै ठौर नाम न बिसरै क्षनहुँ नाथा न रहै हिय वासना और बाँवरी नाम की डोर...
हरिहौं देयो भजन कौ लोभा नाम भजन ही होय साँचो धन मानुस जीवन सोभा विषय भोग लागै अति नीके बाँवरी जन्म गमाई नाम भजन सौं रही कंगाली समै खोय पछताई हा हा नाथा जन्म गयै बड़े अबके करौ न...
*गौर* गौर नाम में श्रीयुगल का पूर्ण आह्लाद, पूर्ण उन्माद, पूर्ण रस , पूर्ण तरँग भरी हुई है। आह्लाद ऐसा की दो सागर जैसे भीतर उन्मादित हो रहे, कोटि कोटि ,महाभाव प्रकट हो रहे। इस ना...
आज आईने में हमने अपनी सूरत देखी जिंदगी में अपनी न तेरी जरूरत देखी न तो हमें इश्क़ हुआ न ही सलीका आया खुद में ख्वाहिशों की ही बस फितरत देखी आज आईने..... मेरी आँखों से बहते अश्क भी क्...
अश्कों को अपने यूँ आज दबाके बैठे हैं तेरी महफ़िल में हम खुद को लुटाके बैठे हैं काश हम कर सकते कभी थोड़ा भी इश्क़ तुमसे झूठी सी अपने से उम्मीद लगाके बैठे हैं अश्कों को .... इस अश्क़ की...
*श्रीनवद्वीप धाम तथा महारास* श्रीनवद्वीप धाम का सृजन स्वयं श्रीराधा रानी ने अपने कर कमलों से किया , श्रीराधा रानी तथा अष्ट सखियों ने।नवद्वीप का अर्थ है नौ द्वीप,इस नवद्वी...