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Showing posts from January, 2019

प्रेम

प्रेम अकारण है कोई कारण नहीं कारण हुआ तो वह प्रेम नहीं प्रेम तो एक उछाल है बस एक तरँग सी बह गई छू गयी निकली कहीं से पिघलाती सी कहीं जाने को व्याकुल आखिर कहां?? प्रेम तक ही प्रेम क...

भीगी सी पलकों से

भीगी सी पलकों से तेरा इंतज़ार करते हैं जाने क्यों इतना बेकरार हमको सरकार करते हैं नहीं सम्भलते यह तूफान ए इश्क़ हमसे सम्भाल लो तुमसे यही दरकार करते हैं मुद्दतें गुज़ार दी हमन...

मधुमंगल श्यामसुंदर लीला

एक बार कान्हा जू का प्यारा सखा मधुमंगल उनसे रुष्ट हो जाता है। उनसे कहता है कान्हा तुम सब सखाओं से प्रेम करते हो और उनको सब मिष्ठान खिला देते हो। मेरा तो तुम ध्यान ही नहीं रखत...

कुछ यूँ भी

यह ज़िन्दगी भी कम है तुम्हें पुकारने को पुकारने का भी स्वाद कहाँ आया इस रूह को न छुड़वाओ अब मै मयखाना अपने नाम का तेरा नाम ही मुझे अजब नशेमान करता है जाने क्या मय सी पी ली तुझे पु...

सखी री पिया मोरी

सखी री पिया मोरी सुधि न लीन्हीं नयनन नीर बहाती बिरहन बाँवरी कीन्हीं कब आवे सखी पिया मोरे भेजी नाई पाती खावन पीवन की सुधि बिसरी   रोवन हिय सुहाती रोवत रोवत भीगी सखी री मेरी च...

मेरे तृषित प्रियतम

तुम्हारी ही रस तरंगों में झूमती गिरती पड़ती कभी तुमहीं में समा जाती तो किसी क्षण विरह की अग्नि दग्ध करने लगती मुझे इस प्रेम वारिधि के तट पर बैठी एक छोटी सी बून्द तुममें ही सम...

बाँवरी हिय कल्मष

हरिहौं बाँवरी हिय कल्मष भारी तुम्हरी सौंह भोग हिय तपावै जीवन होय दुखारी स्वासा स्वास गई तुम्हरै नाम बिन सोचत हिय तपावै कौन विधि बनै भजन की नाथा भोगन चित्त रमावै हरिहौं कस ...

कौन भाँति कल्मष नासै

हरिहौं कौन भाँति विषय नासै कबहुँ प्रेम रस हिय भीजै होवै हिय प्रकासा भासै चहुँ ओर अंधियारी खाई नाथा पुनि पुनि गिर जाऊँ जन्मन रही साँचो नाथ भुलाई भवसिन्धु गोते खाऊँ हा हा न...

देयो रसिकन कौ सँग

हरिहौं देयो रसिकन कौ सँग जाके चरण धूरि सिर धरि कै मिलै भक्ति कौ रँग मिलै भक्ति कौ रँग हरिहौं हिय की पशुता नासै हिय लगै नाम भजन चटपटी भाजै तिमिर हिय प्रकासै ऐसो सँग दुर्लभ हो...

घनन घन दामिनी

*घनन घन दामिनी, बरसै सकल यामिनी,मधुर मधुर रस बरसत* *रस बरसत घनघोर,विलसत हिय विभोर,हिय प्रेम रस सरसत* *नयनन कोर भीनी,पुलकित सर्वांग कीन्हीं,प्रियतम तृषित अकुलात* *बरसत नेह भरी,रस...

मेरी करुणामयी

मेरी करुणामयी सरकार लाडली श्रीराधा करे नाम ही बेड़ा पार लाडली श्रीराधा भव सिन्धु में मेरी डोल रही नैया आपही किशोरी बन जाओ खवैया कर दीजौ भव सौं पार लाडली श्रीराधा मेरी करुण...

पिय बिन कछु न सुहाय

आली री ! पिय बिन कछु न सुहाय उठत गिरत पड़त रहै बिरहन चैन कितहुँ न पाय हूक उठै आली हिय भारी पुनि पुनि हिय अकुलाय खावन पीवन सिंगार कौ सुधि न बिरहन नैन बहाय कोऊ जाय देयो सन्देश री पि...

नाँहिं लिखुँ

नाँहिं लिखूँ आली बतियाँ जिय की बिरहन जावै कौन द्वारे री पीर सुनावै हिय की पिय पिय टेर रहूँ अकुलाय सूल चुभी विरह की हाय पीर न लेवत प्राणा कौन गरज रहै देह की अहो पीर प्रेम की पा...

न आज न मुख सौं बोलूं

न आज न मुख सौं बोलूँ पीर छिपाये राखूँ उर अंतर कौन सौं हिय खोलूँ पिय सुधि लीन्हीं नाँहिं बौराई बाँवरी इत उत डोलूँ नयनन नीर बहै निशिबासर मुख अश्रु सौं धोलूँ प्रेम की देहुँ साँ...

कौन घड़ी नेहा

पिय कौन घड़ी नेहा लगाई साँची कहूँ पिय तेरी सौंह बिरहन बड़ी अकुलाई पिय पिय टेरत कछु बतियाँ नाँहिं मुख एकै टेर लगाई पिय बिन कौन कौ जाय पुकारूँ सब पाछै तज आई जो नाँहिं निरखूँ पिय ...

आज बहन देय नयन

आली री आज बहन देय नैन रोये रोये प्राण तजै री बिरहन बोलै अटपट बैन बिरहन की पीरा कोऊ जाने जो बिरह प्रेम की पावै आपहुँ अग्न जलै उर अंतर सौई बात बिरह की गावै आली री प्रीति कौ मार्ग ...

बाँवरी फिरी बौराई

आली री बाँवरी फिरै बौराई रीति प्रीति की कछु नाँहिं जानी काहे नेह लगाई जोगन होय रही पिय की बिरहन होवत कबहुँ सुनाई पिय पिय टेर रही क्षण क्षण हिय प्रेम की पीर समाई आली पीर बिरह ...

कभी यूँ भी

यह जो कसक सी उठ रही है दिल में मेरी तो नहीं इश्क़ तो नहीं पर इश्क़ की बेचैनियां क्यों हैं जाने कौन सा लम्हा अब जान लेकर जाएगा सिसक सिसक कर अब सचमें जिया नहीं जाता आज अश्कों में डु...

जाने क्या

मेरी साँसे यूँ छूने को मचलती हैं रोम रोम तेरा इश्क़ की बर्बादियों का खेल ही आता मुझको तुम्हारी साँसों में घुलने का सुरूर है मुझ पर इश्क़ के मयख़ाने की खुमारी न संभलती है हैरान ...

कबहुँ समझै बाँवरी पिय प्यारी

कबहुँ समझै बाँवरी पिय प्यारी दोऊ रीझ रीझ सुख लेवत बन आय नदिया बिहारी राधा कृष्ण कौ युगल होय वपु गौर नाम कौ सार सकल नाम छांड बाँवरी बस गौरा गौर उच्चार नाम गौरांग भजत हिय श्या...

झूठी सी मुस्कुराहट

---------*तेरा इश्क़*--------- झूठी सी मुस्कुराहट से यूँ ही दिल बहलाये बैठे हैं अपने अश्कों को हम अपनी आँखों मे छिपाये बैठे हैं चेहरे से पढ़ न ले कोई हाल -ए -दिल अपना एक और दूसरा चेहरा लगाए बैठे ह...

भजन सौं कंगाला

हरिहौं होऊँ भजन सौं कंगाला विषय ताप जलावै नाथा हिय फूट रह्यौ भव छाला हरिहौं कस कस चपत लगावो बाँवरी भजन भुलाई पुनि पुनि जग वीथिन दौरि बाँवरी रहै विष्ठा पाई हा हा नाथ अबहुँ वि...

महाभाव रसराज विलास

*महाभाव रसराज विलास*    श्रीगौर हृदय अपने भीतर सम्पूर्ण निभृत विलास समेटे हुए है। युगल वपु श्रीगौरांग के हृदय की सौरभ महाभाव रसराज की विलास से उठ रही है।इस हृदय में जहाँ क्...

जन्म जन्म दुख पाई

हरिहौं जन्म जन्म दुख पाई हरिभजन का धन न बाँवरी राखी जगति रही भरमाई कौन भाँति हिय चँचल नाथा तुम्हरौ चरण पावै ठौर नाम न बिसरै क्षनहुँ नाथा न रहै हिय वासना और बाँवरी नाम की डोर...

देयो भजन कौ लोभा

हरिहौं देयो भजन कौ लोभा नाम भजन ही होय साँचो धन मानुस जीवन सोभा विषय भोग लागै अति नीके बाँवरी जन्म गमाई नाम भजन सौं रही कंगाली समै खोय पछताई हा हा नाथा जन्म गयै बड़े अबके करौ न...

बिरह न साँचो

हरिहौं बिरह न साँचो लागा भोग विषय की पुतरी बाँवरी विषयन मन रहै पागा प्रीत की रीति न जानै बाँवरी राखै काँचो प्रेम कौ धागा कोयल सम नाँहिं वाणी मीठी कटु बोलै ज्यों कारौ कागा हा...

गौर

*गौर* गौर नाम में श्रीयुगल का पूर्ण आह्लाद, पूर्ण उन्माद, पूर्ण रस , पूर्ण तरँग भरी हुई है। आह्लाद ऐसा की दो सागर जैसे भीतर उन्मादित हो रहे, कोटि कोटि ,महाभाव प्रकट हो रहे। इस ना...

आईने में सूरत

आज आईने में हमने अपनी सूरत देखी जिंदगी में अपनी न तेरी जरूरत देखी न तो हमें इश्क़ हुआ न ही सलीका आया खुद में ख्वाहिशों की ही बस फितरत देखी आज आईने..... मेरी आँखों से बहते अश्क भी क्...

हिय इत उत भाजै

हमरौ हिय इत उत भाजै नाम भजन सौं दूरी कीन्हीं भोग विषय कौ साजै भोगन कौ ब्यौपार रहै तगरो विषय भोग कै काजै साँचो निर्धन कंगाल बाँवरी हिय न कबहुँ छाजै बिरथा कीन्हीं मानुस देहि प...

प्रीति की रीति

बाँवरी प्रीति की रीति अलबेलौ ज्यों ज्यों बाढ़त आगै पन्थ जेई छूटो सँग सहेलौ बिरह ताप खावै हिय निशदिन न भावै जग मेलौ प्रियतम बिन लगै स्वासा खारी जग जंजाल झमेलौ प्रीति छुड़ावै ...

अश्कों को दबाकर

अश्कों को अपने यूँ आज दबाके बैठे हैं तेरी महफ़िल में हम खुद को लुटाके बैठे हैं काश हम कर सकते कभी थोड़ा भी इश्क़ तुमसे झूठी सी अपने से उम्मीद लगाके बैठे हैं अश्कों को ....  इस अश्क़ की...

नवद्वीप तथा महारास

*श्रीनवद्वीप धाम तथा महारास*   श्रीनवद्वीप धाम का सृजन स्वयं श्रीराधा रानी ने अपने कर कमलों से किया , श्रीराधा रानी तथा अष्ट सखियों ने।नवद्वीप का अर्थ है नौ द्वीप,इस नवद्वी...