हिय लगाऊँ

हरिहौं कौन विधि हिय लाऊँ
हरिभजन सौं नेह न साँचो कौन विध नेहा लगाऊँ
लागै षडरस जगति कौ नीकै पुनि पुनि दौड़त जाऊँ
जाने न पतिता बाँवरी कोऊ विधि धन हिय साँचो पाऊँ
तुम्हरी ठौर नाथा मेरी साँची बस तुम्हें पुकार लगाऊँ
तुम्हरौ बल सौं होय बलवान हरि हरि मुख सौं गाऊँ

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून