प्रेम भक्ति के स्वाद को
प्रेम भक्ति के स्वाद कौ बिरला पावै कोय
रसिक आश्रय कृपा बनै सुखी होय रहै दोय
नित्य निरतंर नाम वाणी देवै साँचो स्वाद
हिय युगल रस भीजत रहै होय परम उन्माद
कृपा बनै श्रीयुगल की बाँवरी कबहुँ नाम रस पावै
जन्म जन्म बिरथा कीन्हीं स्वास अकारण जावै
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