हरिहौं और न दीजौ स्वासा

हरिहौं और न दीजौ स्वासा
जन्मन कौ रोग होय रह्यौ भारी कठिन होय निकासा
कोऊ जन्म नाँहिं हरि चेताया होय रही जड़ता भारी
गुरु चरणन नाँहिं दियो हिय साँचो स्वासा स्वास बिसारी
मनमानी करत रही चौखी मूढ़े कौन विध होय छुटकारा
हरि गुरु चरणन नेह न उपजै रह्यौ बाढ़त भोग पसारा

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