नाम रस

हरिहौं कबहुँ नाम रस पाऊँ
छांड़ भोग विष्ठता जगति कौ साँचो तुमसौं नेह लगाऊँ
झूठो हिय झूठ ही उपजै झूठ कौ होय सकल पसार
मोसौं पापी कीट कौ नाथा कौन भाँति होय उद्धार
कौन भाँति हिय उपजै नाम रुचि कौन भाँति प्रेम होय
बाँवरी बिरथा कीन्हीं जन्मन रहै जन्म जन्म कौ रोय

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