नाम कौ गान
हरिहौं देयो नाम कौ गान
तुमसौं कृपामय करूँ न बर्णन अपनो अवगुण करौं बखान
अवगुण मोरे कोटिन नाथा तुम्हरे गुण न गिनत बनै
एकै जिव्हा राखी मुख सौं कोटिन जिव्हा सौं न कहत बनै
करो कृपा नाथा अधमन पर देयो अपने नाम कौ प्रीति
साँचे भजन बिना बाँवरी कौन जाने साँचो रस रीति
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