Posts

Showing posts from November, 2017

नाम संकीर्तन

*नाम संकीर्तन*       कलियुग पावन अवतार श्रीमन चैतन्य महाप्रभु जी ने कलियुग के ताप से त्रस्त जीवों के समस्त तापों का हरण करने के लिए हरिनाम पर ही बल दिया है। श्रीहरिनाम समस्...

लालन को लाड

*लालन को लाड* री मैया तेरो लाल आय गयो तोसे नेह लेवन कु। याने कोऊ ईश्वर नाय जानियो , अपने हिय को या लाल की अनुराग स्थली बनाय दीजौ। समस्त वात्सल्य जो तेरो हिय माँहिं झर रह्यौ या ला...

जय जय मेरे गौरहरि

हरिनाम की नाव बनाई जय जय जय मेरे गौरहरि आओ बैठो भजो रे भाई जय जय जय मेरे गौरहरि नाम की ही लगे उतराई जय जय जय मेरे गौरहरि नाम जपे से हो पार लगाई जय जय जय मेरे गौरहरि कोई भेद रहयो ...

आपकी करुणा

*आपकी करुणा* हे पतितपावन गौर हरि! आप अनन्त कोटि करुणामयी हो। आपकी करुणा का बखान तो  कोटिन कोटि जिव्हा लेकर कोटिन कोटि जन्मों में भी नहीं हो सकता। आपका नाम एक बार भी किसी जिव्...

ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य

ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शुद्र वर्ण भये यह चार हरिविमुख जोई जन रहे सोई जान चमार सोई जान चमार जाको लागे माया अति नीकी नाम रस को स्वाद लगे तबहुँ दुनिया होय फीकी कीजौ करुणा दा...

गौर नाम रस

गौर नाम मे रस अति भारी पिये होय मतवारा गौर गौर गौर भज री बाँवरी गौर ही परम सहारा गौर कृपा सों नाम हिय आवै मुख सो जाय उच्चारा गौर शरण पड़ अबहुँ बाँवरी मानुस जन्म बिगारा गौर नाम ...

श्रीकृष्ण चैतन्य

नदियाबिहारी श्रीकृष्णचैतन्य प्रेम अवतारी श्रीकृष्णचैतन्य राधाभाव सार श्रीकृष्णचैतन्य गौरहरि अवतार श्रीकृष्णचैतन्य विष्णुप्रिया प्राण श्रीकृष्णचैतन्य मृदुल ...

साहिब मेरे

आज डूबो लो मुझे अपने इश्क़ के समंदर में पीकर भी बून्द बून्द प्यास नहीं बुझती मेरी मुझको मेरे पते से भी अब महरूम होना है तेरा होना ही रहे बाक़ी अब जिंदगी मेरी यह पल पल की जुदाई अ...

तुझे चाहने वाले

तुझे चाहने वाले बड़े खुशनसीब होते हैं सच तो है बस वही तेरे करीब होते हैं काश मुझे हसरत होती कोई तुझसे दिल लगाने की यहां हसरतों के किस्से भी अजीब होते हैं काश कभी गिरते दो अश्क़ ...

सुलगते से

सुलगते से रहते क्यों अरमान हमारे हैं आग लगी है इश्क़ की जलते निशान हमारे हैं हमको तो डूबना था तेरे इश्क़ के समंदर में मुद्दत से हम खड़े रहे अबतक बैठे किनारे हैं सच तो यह है कि इश...

तुम इक तरफ हम इक तरफ

मुद्दत से हम तुम वहीं खड़े ,नदी के साथ बहते भी तुम इक तरफ़ हम इक तरफ मुद्दत से हम न मिले ,मिलते हुए चाहे रहते ही तुम इक तरफ हम इक तरफ़ मुद्दत से हम ख़ामोश हैं ,बिन सुने सब सुनते ही तुम इ...

हरिदास

हरि जी कीजौ मोहे दासा भटकत फिरत रहूँ नित नित लागी जगत पिपासा पकरो नाथ माया न पकरे बिरथ न जावे स्वासा बाँध लेयो मोहे आपहुँ नाथा कूप पड्यो निरासा मेरो बल कोऊ होवै न नाथा तेरो च...

नाम की डोर

हरिनाम महिमा होय अपार नाम की डोर पकर रे मनवा हिय पतंग सम्भार नाम को साधन होय साँचो भव सों देवै तार भुक्ति मुक्ति की आस रहे न हिय बहे प्रेम रसधार हरिप्रेम को ही सब साधन मानुष द...

हरिनाम

जो रसना हरिनाम न गावै बिरथ लेय जान हरिनाम ही सार सकल होय रे मूर्ख नादान रे मूर्ख नादान बाँवरी तज देय सब अभिमान हरिनाम ही सकल साधन वेद करयो बखान हरि हरि बोल हाथ उठाय कीजौ हरिर...

काहे फिरत जगत

मनवा काहे फिरत जगत बौराय हरि हरि जप स्वासा स्वासा तबहुँ हरिरस आय हरिनाम बिन व्यर्थ स्वासा तू काहे रह्यौ गमाय माया का तू दास न होय हरिदास तेरौ सुभाय डोर पकर हरिनाम बाँवरी क...

रे मन भजन बिना

रे मन भजन बिना सब फीको घूमत फिरे जगत वीथिन माँहिं षडरस भावे जिय को भजन कबहुँ न सुहावत तोहे कूकर सम विष्ठा अति भावै लोभी रह्यौ नित मान बड़ाई भगवत रस कबहुँ न चाह्वै बाँवरी हिय त...

पुनि पुनि प्रणाम

पुनि पुनि करूँ प्रणाम मैं हाथ जोड़ कर दोय नवल निकुंज रेणु को ऐसो महिमा सुनावे मोय युगल दासिन के सँग सों हिय सेवा भाव उपजाय बलिहारी इस सखिन पर नित्य युगल को सुख सजाय बाँवरी भ...

सन्तन कृपा

सब सन्तन को नेह मिले गौर कृपा भई अति भारी बाँवरी अबहुँ जाग रह्यौ बिन भजन जन्म बिगारी सब सन्तन चरणन विनय करूँ नाम व्यसन मोहे होय हरिनाम धन नित नित बाढ़े ऐसो असीस देयो मोय सन्त...

मेरे दर्द

आज मेरे दर्द फिर छेड़ गया कोई तेरी तस्वीर मेरे दिल से निकाल हाथ में देकर मत जलाओ कि दिलजले पहले ही यहां हैं धुआँ सा उठ गया तो बदनाम हो जाएंगे इश्क़ की बारिशें भी क्या खूब होती ह...

सीखा है

सीखा है हुनर तुमसे ही दिल लगाने का हमने वरना बन्दा यह जानता न बन्दगी क्या है किताब ए इश्क़ के हर पन्ने में तेरा ही नाम लिखा है तू ही बता अब इश्क़ का फलसफा हम क्या कहें कोई कहे इश्...

उनका प्रेम

उनको तो निभानी आती है आशिकी हर हद से परे ही अपनी ही जुबान न कभी उलाहने से थकती है वो तो खड़े हैं सदा से राह ए मोहबत में यूँ सजकर हमारी ही नीयत उन राहों में मुड़ जाने से थकती है

हिय उपवन

क्यों आये हृदय उपवन माँहिं कोमल हिय सरसाने हित दृगन सों नीर बहे रह्यौ अबहुँ भारी होय रहयों अंतर चित दृगन बाण सों हिय भेदयो ऐसो क्षण क्षण होय गयो अर्पित खोजत फिरत विकल हिय स...

रसिकन की जूठन

रसिकन की जूठन मिले कौर कौर नित खाऊँ रसिक चरणन माँहिं नित्य नित्य डोलूँ हरिनाम रस पाऊँ हरि गुरु नेह बढ़त रहे निशदिन युगलनाम रति पाऊँ कृपा कीजौ बाँवरी दासी पर नाम कृपा नित चा...

योग कर्म जप तप

योग कर्म जप तप और साधन सकल ही युगल हमारे युगल नाम ही रति मति मेरी हिय युगल चरण पखारे श्यामाश्याम नाथ अबहुँ मेरो श्यामाश्याम ही मेरो सहारे श्यामाश्याम रटे मेरी जिव्हा क्षण...

दिल की बस्ती

आज दिल की बस्ती में अरमान जला कर बैठे हैं लब तो खामोश हैं मगर कोई तूफान दबा कर बैठे हैं क्या तुमने निकलता देखा धुआँ मेरे अरमानों का कबसे हम अरमानों की हम चिता बनाकर बैठे हैं अ...

भोर साँझ

क्यों आये हृदय उपवन माँहिं कोमल हिय सरसाने हित दृगन सों नीर बहे रह्यौ अबहुँ भारी होय रहयों अंतर चित दृगन बाण सों हिय भेदयो ऐसो क्षण क्षण होय गयो अर्पित खोजत फिरत विकल हिय स...

हरिनाम

हरिनाम देय सदा आनन्दा हरिनाम काटे भव फन्दा हरिनाम ही सब सुख सागर हरिनाम अमृत की गागर हरिनाम ही उत्तम व्रत हरिनाम ते कटे अनर्थ हरिनाम कलियुग के मन्त्र हरिनाम ही सुख का यन्...

तुम हुए

न तो हम फूल हुए कभी और न कभी हवा भी हुए मर्ज़ ए इश्क़ समझ भी न पाए और बेवफ़ा भी हुए मिलकर बिछड़े पल पल में ये भी जिन्दगी है कोई जिन्दगी थी बस तेरे मिलने तक फिर जुदा भी हुए कभी लगता है ब...

कोई रिश्ता

काश गीली सी लकड़ी सा सुलगना आता मुझे तेरे इश्क़ का कोई झोंका कभी छू जाता मुझे सूखा सा मरुस्थल है जिसमें कोई नमी ही नहीं मौसम ए सावन तेरे इश्क़ का कभी भिगाता मुझे या मैं होती कोई ...

भजन को सार

बाँवरी भजन को ही सार होय नाम भजन सों कोस दूर रह्यौ नित मान लोभ अपार होय कोऊ समै पकरै न सुमिरनी हाथा इत उत की झंकार होय विष्ठा चखे कूकरी सों रैन दिवा जगत को ही विस्तार होय बाँव...

कंगाला

हरिहौ हम होवैं कंगाला नाम भजन कछु धन न होवै कीजौ दया कृपाला द्रवित न होवै पाथर हिय मेरौ जिव्हा नाम न गावै ताप विलाप कबहुँ न उर मेरौ दृगन नाय झरावै सेवा लोभ न जगै उर अंतर कछु क...

क्यों है

मेरी किस्मत में लिखी लम्बी सी जुदाई क्यों है बाहर है बड़ा शोर रूह तलक तन्हाई क्यों है क्यों निकलती नहीं इस दिल से तेरी याद पलभर हवा भी छूकर मुझे तेरी याद दिलाई क्यों है क्यों ...

फिर एक शाम

कोई चिराग न जला मेरी चौखट पर आज भी फिर एक शाम आज उदास कर गई है मुझे झूठी सी हंसी थी लबों पर दिल मे दर्द गहरा था फिर एक शाम तेरी याद दिला गई है मुझे यूँ तो दिन भर लगे रहे महफिलों में...

सोहनी पद

अहो बढ़भागनी सोहनी श्रीनवल निकुंज को श्रृंगार प्रियाप्रियतम चरण रज नित धर मस्तक करती स्वीकार मो सम पतित मलिन हिय की कर दीजौ तनिक बुहार जन्मन की जड़ता छुट जावै पाछे होय प्रे...

सन्तन की चरण रज

सन्तन की चरण रज लहियै कान देय सुने सद्गुरु बातां, पुनि पुनि हिय बैठइयै मुख सों व्यर्थ न वाणी निकसै,युगलनाम गुण गइयै प्रेम मार्ग के होय पथिक जो, जगत दियो बिसरइयै नाम धाम सन्त...

नाम भजे नाम ही पावै

नाम भजै नाम ही पावै, नाम ही धन होय मेरौ याहि अरज होय सद्गुरु सों, नाम हिय माँहिं उकेरौ नाम सूर्य सकल कल्मष नासै , नाम बिन जगत घनेरौ बाँवरी हाथ देय आपहुँ राखौ,जन्म गयो बथेरौ नाम ...