जब दिल मे नहीं इश्क़

जब दिल मे नहीं इश्क़ तो बाकी क्यों है जीना
क्यों तेरे बगैर साँस भी नहीं लगता ज़हर पीना

सच हैं हम कंगाल हैं नहीं दौलत ए इश्क़ पाई
जो तुम होते जिन्दगी न होती यह तन्हाई
डूबती जा रही नाव मेरी बन जाओ तुम सफ़ीना
जब दिल मे नहीं........

हाल ए दिल छिपा है क्या तुमसे अब हमारा
कैसे जिन्दा हम रहें अब होता नहीं गुज़ारा
तेरे इश्क़ ने रूह तलक का अब मेरा चैन छीना
जब दिल मे नहीं ...... ..

इस गली में कोई इश्क़ की चलती नहीं हवा
रहना है हमको दर्द में नहीं लेनी कोई दवा
पत्थर सा क्यों हो चुका जाने हमारा सीना
जब दिल मे नहीं ........

दर्दों का शौक़ लग गया हमको दर्द दो बेशुमार
इश्क़ का नहीं इल्म कोई दिल है हर तरह बेकार
नहीं सम्भाल पाये हम सच्चा तेरे इश्क़ का नगीना
जब दिल मे नहीं इश्क़ तो बाक़ी क्यों है जीना
क्यों तेरे बगैर साँस भी नहीं लगता ज़हर पीना

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