कभी यूँ

कभी यूँ तेरे इश्क़ की बरसात हो
लबों पर मेरे बस तेरी ही बात हो
भीगती ही रहूँ पल पल उस बरसात में
न गुज़रने न वाली कभी ऐसी कोई रात हो

इश्क़ की बारिशों में भीगने का सबब हो
हुनर ए इश्क़ में माहिर तुम अजब हो
भीगती सी बारिशों में रँग ए उल्फ़त गज़ब हो
मेरे हिस्से में भी कोई ऐसी रँगीली रात हो

इश्क़ की मीठी चाशनी आज थोड़ी घोल दो
बात दिल की लबों से आज थोड़ी बोल दो
बेताब सी इन हसरतों का अब तो कोई मोल दो
शर्बतों सी घुलती हुई कोई मीठी सी सौगात हो

धड़कनों का शोर सुनो जाने क्यों बेताब हैं
भीगी हुई आंखों में जाने छिपे कितने ख़्वाब हैं
हसरतें भी खामोश सी जाने क्यों ओढ़े नकाब हैं
कभी मेरे दिल की कभी दिल तेरे की बात हो

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