क्रन्दन

यह क्रन्दन

आह
यह क्रन्दन
प्राणों का क्रन्दन
निहार निहार
उन वृक्ष वल्लरियों की
यह हुलसन
यह विलसन
यह पवन
यह आह्लाद
यह तरँग
छुए हो न तुम
हाँ
इनको छुए हो तुम
यह सब आह्लाद
यह उन्माद
तुम्हारे स्पर्श से ही तो
उसी स्पर्श से उन्मादित
मेरे प्राण
उसी तरँग से आह्लादित
प्राणों में उठता यह क्रन्दन
पुनः पुनः ढूंढता हुआ
अपना अस्तित्व
हाँ
मुझे भी विलीन होना
यहीं
बस यहीं
जहाँ मेरे प्राण हिलोरे ले रहे
कोई वृक्ष वल्लरी
कोई लता पुष्प
एक पवन की हिलोर
कैसे भी रख लो
बस
तुम्हारे पास ही
तुम्हारे पास
.........
.........
मेरा नवद्वीप
मेरा नवद्वीप

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