माधुरी

वो भीगे से बदन पर
छुवन तुम्हारी
आह !!!
साँसों की गर्मी
घुलता सा नशा
गहराती मोहबतें
जाने होश भी कहाँ
गुम होने को बेताब है
बेताब हैं यह साँसे
उलझना चाहती हैं
बस तेरी सांसों में
सिमटना चाहती है
यह धड़कन
तेरी ही धड़कनों में
तुझमें ही खोकर
तुझसे ही मिलती हुई
तुझे ही पुकारती हुई
जिसको पीने पर भी मिली
प्यास
प्यास
बस इक
प्यास तेरी
सिर्फ तेरी

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून