अबहुँ न पतित बिसारो
हरिहौं अबहुँ न पतित बिसारो
पतितन हिय लगावन वारे बाँवरी करो उद्धारो
जन्मन जन्म सिर राखै नाथा पापन कौ गठरी भारी
नाम की नाव बैठावो नाथा नाम की देयो उतारी
बिन नाम की नाव चढ़े बाँवरी न भव सौं होय उतारा
नाथा तुमहिं सहारे साँचे सब झूठा जगति पसारा
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