आज तेरे इश्क़ ने
आज तेरे इश्क़ यूँ ने दीवाना कर दिया
मुझको मुझसे ही बेगाना कर दिया
छलकता सा जा रहा है जाम तेरे इश्क़ का
मस्ती भरा सा इक पैमाना कर दिया
आज तेरे इश्क़ ने .....
मुद्दतों बाद मिला थोड़ा सा सुकून है
लफ़्ज़ों को तेरे इश्क़ ने अफ़साना कर दिया
आज तेरे इश्क़ ने......
नज़र कैसे लगे भला तेरे मेरे इश्क़ को
हमने खुद को तुम पर नज़राना कर दिया
आज तेरे इश्क़ ने .........
दीवानगी का आलम भी बड़ा ही अजीब है
मस्ती ने तेरे इश्क़ से आशिकाना कर दिया
आज तेरे इश्क़ ने .......
इश्क़ की मस्तियों के आप सबब न पूछिये
जलती हुई शमा पर खुद को परवाना कर दिया
आज तेरे इश्क़ यूँ ने दीवाना कर दिया
मुझको मुझसे ही बेगाना कर दिया
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