झूठो धन

झूठो धन मैं क्षण क्षण जोड्यो साचो धन बिसराय दियो
श्यामाश्याम न भजयो मुख ते हृदय संसार बैठाय रह्यो
हरिनाम को रस न चाख्यो विषयन माँहि भरमाय रह्यो
बीत चली तेरी व्यर्थ उमरिया बाँवरी व्यर्थ जीवन गमाय रह्यो
अबहुँ जाग ले भजन बने कछु क्षण क्षण नाम बिन जाय रह्यो
हरिनाम की महिमा अनुपम सत्संग तोहे बताय रह्यो
रहे सदा तू मूक बधिर ही श्यामाश्याम न गाय रह्यो
नैनन ते हरि रूप न देख्यो जगत को विष्ठा खाय रह्यो
सब इंद्री हरि अर्पण कीजो नाम रूप युगल को समाय रह्यो
हरि सों माँगों हरि प्रेम नित तेरी जन्म अकारण जाय रह्यो

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