सद्गुरु मोहे दीजियो

सद्गुरु मोहे दीजियो निज चरणन माँहि ठौर
नित नित चरण रहूँ चापत नाथ मेरो कौन आश्रय और
तुम्हरी कृपा ते हरिगुण गाऊँ मैं मग्न साँझ और भोर
तुम्हीं मेरी सुधि लेवन वारे नाथ अबहुँ पकरो मेरी डोर
दीजौ नाथ मोहे नाम की भिक्षा रहूँ नित प्रेम विभोर
तुम सों कौन प्रेम को दाता बाँवरी अधमन को सिरमौर

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