मोसों कोन मलिन

मोसों कौन मलिन होय साहिब तुम्हरी कृपा अनन्त अपार
देखो नाँहि मेरो अधमाई कीजौ न मलिनता को कछु विचार
नाम की भिक्षा दीजौ मेरे सद्गुरु कीजौ मेरी आप सम्भार
अपने चरणन की रति दीजौ लागे ना मोहे विषय ब्यार
तुम्हरी कृपा ते ही पाऊँ नाथ मैं सेवा को कोऊ अधिकार
बाँवरी ऐसो भिक्षा मांगिहै बैठी द्वार तेरे आँचल पसार

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