ऐसो कृपा

ऐसी कृपा कीजौ मेरे सद्गुरु हरिनाम को चाव रहे
साधु सन्तन सेवा करूँ नित नित ऐसो मन में भाव रहे
जित देखूँ हरि दरसन होवै हरि सँग ही मेरो लगाव रहे
हृदय के कल्मष सबहुँ नाश होय निर्मल मेरो सुभाव रहे
तुम्हरी कृपा ते ही नाम धन पाऊँ ऐसो नाम बहाव रहे
सद्गुरु तुम्हरी शरण गहूँ नित  तुम सँग प्रेम निभाव रहे

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