मैं तो सद्गुरु के गुण गाऊँ
मैं तो सद्गुरु के गुण गाऊँ
हरि नाम की भिक्षा पाई क्षण नाँहि बिसराऊं
जेहि विधि गुरु मोहे राखै सोई विधि रह जाऊँ
अपने सद्गुरु की बलिहारी चरणन सीस नवाऊँ
जिस विधि रीझे मेरो साहिब सोई विधि रिझाऊँ
रसना ते हरि नाम जपूँ कर सों सेवा नित पाऊँ
अँसुवन सों तिन चरण पखारूँ हृदय माँहि पधराऊं
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