मोसों कीट कौन
मोसों कीट कौन होय जगत को तोसो दियो बिसार
मुख ते श्याम न नाम गायो पड्यो जगत रस धार
पड्यो जगत रस धार स्वाद विषयन को ऐसो मोहे भावे
युगल चरण माँहि प्रीत न उपजै पुनः पुनःजगत विष्ठा पावे
आपहुँ हाथ देय मोहे कीजौ नाथ जी भव बन्धन सों पार
मो सम पतित न कोऊ जगत माँहि तो सम कोऊ उदार
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