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Showing posts from March, 2017

अपनों सच

अपनों सच नित छुपाऊँ जगत सों भक्त को बेस बनाय रहूँ जिव्हा चाण्डालिनी हरि नाम बिन मेरो विषय रस लगाय रहूँ चिंतन भजन नाँहिं प्यारो लागे मोहे कुकर होऊँ विष्ठा खाय रहूँ मानव दे...

अबहुँ सुधार करो

कीजौ छुटकारा मेरो भव बन्धन काटो हरि कौन सों मुख ते कहूँ मलिन पतित अधम होऊँ जन्म सों कोऊ तुम बिनहुँ ठौर गहूँ मो सम पातक नाय कोऊ जगत माँहिं पड्यो अबहुँ द्वार तेरे पाप ताप सब का...

सद्गुरु मोहे दीजियो

सद्गुरु मोहे दीजियो निज चरणन माँहि ठौर नित नित चरण रहूँ चापत नाथ मेरो कौन आश्रय और तुम्हरी कृपा ते हरिगुण गाऊँ मैं मग्न साँझ और भोर तुम्हीं मेरी सुधि लेवन वारे नाथ अबहुँ प...

ऐसो कृपा

ऐसी कृपा कीजौ मेरे सद्गुरु हरिनाम को चाव रहे साधु सन्तन सेवा करूँ नित नित ऐसो मन में भाव रहे जित देखूँ हरि दरसन होवै हरि सँग ही मेरो लगाव रहे हृदय के कल्मष सबहुँ नाश होय निर्...

तुम सों कौन प्रेम को दाता

तुम सों कौन प्रेम को दाता मोसों कौन पातकी नाथ तुम बिन कौन भव बन्धन काटे शरण कीजौ मैं पतित अनाथ कृपा कीजौ नाथ अधमन पर शरण पड़े को कीजौ सनाथ तुम्हरे चरणन नित शीश नवाऊँ मस्तक पर र...

मोसों कोन मलिन

मोसों कौन मलिन होय साहिब तुम्हरी कृपा अनन्त अपार देखो नाँहि मेरो अधमाई कीजौ न मलिनता को कछु विचार नाम की भिक्षा दीजौ मेरे सद्गुरु कीजौ मेरी आप सम्भार अपने चरणन की रति दीज...

कैसो कहूँ

कैसो कहूँ हरिनाम अति मीठो जगत को रस नित पाऊँ जी चिन्तन हरि को कबहुँ न होवै क्षण क्षण व्यर्थ गमाउँ जी हरि प्रेम नाय हिय बसायो विषय रस माँहि हिय रमाउँ जी मान प्रतिष्ठा अति प्य...

विषयन रस

विषयन रस अति प्यारो लागे मोहे हरिनाम को स्वाद न आवे जगत की प्रीत में क्षण क्षण लौटूँ मुख पर कबहुँ हरिनाम न आवे रैन दिवस विषय रस भावे मोहे विषयन माँहि हिय अटक्यो जावे हरि मिल...

मोसों कीट कौन

मोसों कीट कौन होय जगत को तोसो दियो बिसार मुख ते श्याम न नाम गायो पड्यो जगत रस धार पड्यो जगत रस धार स्वाद विषयन को ऐसो मोहे भावे युगल चरण माँहि प्रीत न उपजै पुनः पुनःजगत  विष्...

चरणन चेरी

सद्गुरु जी मोहे कीजौ चरणन चेरी हाथ पकरि मोहे शरण कीजौ काटो भव की फेरी हरिनाम तुम्हारी कृपा से होवै मन्द बुद्धि होय मेरी मोहे आस सद्गुरु चरणन की नाँहि देर भई बहुतेरी दासी क...

मैं तो सद्गुरु के गुण गाऊँ

मैं तो सद्गुरु के गुण गाऊँ हरि नाम की भिक्षा पाई क्षण नाँहि बिसराऊं जेहि विधि गुरु मोहे राखै सोई विधि रह जाऊँ अपने सद्गुरु की बलिहारी चरणन सीस नवाऊँ जिस विधि रीझे मेरो साह...

नित सद्गुरु चरण रज

नित नित सद्गुरु चरण रज लीजै संत रूप हरि आए धरा पर सेवा को सुख लीजै गुरु के वचन अटल कर मानिहै संशय कबहुँ न कीजै सद्गुरु की शरण माँहि रहिये नित्य हरि नाम रस पीजै जो मार्ग सद्गुर...

बलिहारी सद्गुरु

बलिहारी सद्गुरु अपने की जिन गोबिंद राह बताई भव सिंधु मेरो डोलत नैया आपहुँ कीन्हीं सम्भराई जगत विषयन सों आप बचायो मोहे हरि राह बताई विषय कामना नष्ट कियो गोविन्द तृषा जगाई ...

सद्गुरु की बलिहारी

सद्गुरु अपने की बलिहारी जिन हरि नाम जपाया जन्मन के भव बन्धन काटे जो इनकी शरण में आया बिन सद्गुरु भक्ति न करे कोऊ हरि की ऐसो माया भक्त वत्सल सन्त रूप हरि ने जग जंजाल छुड़ाया हा...

संत सद्गुरु

संत सद्गुरु मानुस ना मानिहै हरि अपनो रूप बनाय संतन मुख ते हरि आप कहें एहो रूप धार कर आय भव भटकत मूढ़ जीवों पर अपनी कृपा कोर बरसाय नाम रूपी नैय्या बनाय लीन्हीं पतितों को लियो ब...

साहिब मेरो मन

साहिब मेरो मन करे बड़ो ढिठाई नाम जपे न रसना चण्डालिनी कैसो बनत बनाई विषयन को रस भावै हिय को कैसो होय निभाई नाम बिना मेरो नैया डूबे जी देत न बनत चुकाई भिक्षा दीजौ अपने नाम की भू...

विनती

भगत प्रेमी जो गल लगावो तो कौन बात, मोसे अधम कोऊ अपनावो तो जानिहै रटत रहे कोऊ नाम तेरौ रैन दिन, मोसे पातकी कोऊ तारिहे तो मानिहै एक तेरी और देख्यो हूँ मोहन मैं ,अधम मलिन और कछु कब...

पिय प्यारी के नयन

पिय प्यारी के नयन श्री प्रिया कुछ गुनगुना रही हैं , प्रियतम उन्हें निहारने लगते हैं। प्रियतम जिस स्थान से खड़े श्री प्रिया को निहार रहे हैं उनके सन्मुख दर्पण लगा हुआ है जिसम...

तुम सों हरि

तुम सों हरि और न देख्यो , भक्तन की जूठन खाय रह्यौ विपदा रही जब ब्रज पर भारी, गिरिराज कर स्यों उठाय रह्यौ प्रेमवश रह्यौ भक्त अधीना, भक्तवक्तसल नाम धराय रह्यौ अपनी स्तुति सों भ...

झूठो धन

झूठो धन मैं क्षण क्षण जोड्यो साचो धन बिसराय दियो श्यामाश्याम न भजयो मुख ते हृदय संसार बैठाय रह्यो हरिनाम को रस न चाख्यो विषयन माँहि भरमाय रह्यो बीत चली तेरी व्यर्थ उमरिया...

स्वास स्वास हरिभजन

स्वास स्वास हरिभजन होवै ऐसो मेरो सुभाव कहाँ भटक रहूँ जगत विषयन माँहि तव चरणन लगाव कहाँ रस चाखुं जगत के विरथा नाम रस मोहे अनुराग कहाँ विष्ठा को कूकर अति कामी तव चरण पुष्प को ...

हरि जी नहीं देखो

हरि जी नहीं देखो मेरी अधमाई रसना नाम विहीना मेरी कबहुँ तेरो नाम न गाई मों सो कौन कुटिल और लोभी आयो नाँहि शरणाई भव निद्रा में रहूँ मग्न मैं तोसे प्रीत न लगाई कौन सों मुख आय दिख...

आज सखी खेली

आज सखी खेली मोहन सों होरी राधा नाम रँग सों भीज्यो गावत रह्यो नाम किसोरी मोहन मेरो चंद्र वृन्दावन को श्यामा भई चकोरी आज सखी खेली श्यामा सों होरी कृष्ण कृष्ण नाम बरसायो झूम...

हे प्राण सखे

हे प्राण सखे नवनीत हृदय चँचल नयन नवनीत प्रिय मम हृदय मम प्राणवल्लभ मम प्राणनाथ मम मीत प्रिय हे नन्दनन्दना हे ब्रजराज मम हृदय में तुम रहे विराज ब्रजराज कुंवर हे प्राणप्र...

प्रेम करो तुम

प्रेम करो तुम सकल जगत सों ,मम हृदय होय प्रेम विहीन होय रहूँ नित्य अभिमानी , कबहुँ ना मान्यो निज को दीन कैसो तोय पुकार लगाऊँ , मेरो वाणी में बल न कोय प्रेम से रीझो नन्दकुँवर तुम , ...

महाप्रभु जी का उन्माद

रात्रि का समय है श्रीवास आँगन में महाप्रभु और अन्य भक्त वृन्द कृष्ण कीर्तन कर रहे हैं।   हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे   हरे  राम हरे राम   राम   राम  हरे हरे    मह...