क्यों है

*क्यों है*

तुमसे दूर रहकर जीने की चाहत क्यों है ?
हमको सदा से बेवफ़ा होने की आदत क्यों है ?

नहीं आता इश्क़ हमको यह सच है जानते हैं
फिर भी तुमको मुझसे इश्क़ की चाहत क्यों है ?

है वीरान दिल यह मेरा फैला दूर तक अंधेरा
बस इक तेरे नाम से ही इस दिल को राहत क्यों है ?

भीतर कुछ पिघलता है आँखों से जो बहता है
इस मीठी सी जलन से इस दिल को राहत क्यों है ?

सच हमसे इश्क़ करके कुछ न मिलेगा साहिब
पर तेरा इश्क़ ही साहिब सच्ची इबादत क्यों है ?

तुमको किया है रुसवा मुद्दत से हमने ऐसे
नस नस में बेवफ़ाई मेरे हाय ऐसी फितरत क्यों है ?

क्यों दिल यह जल रहा है तेरा नाम लेकर
बेताब सी इन साँसों को चलने की आदत क्यों है ?

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