कैसी मेरी बसन्त
*कैसी मेरी बसन्त प्रियतम*
कैसी मेरी बसन्त प्रियतम
इस पीत लौ के पीत प्रकाश में
दृग बहाती मैं पीत भई
कैसी मेरी बसन्त प्रियतम
इस दग्ध हृदय के ताप को
कैसे शीत करे पीत चन्दन
कैसी मेरी बसन्त प्रियतम
हृदय कुँज में कोई झंकार नहीं
नहीं हुआ पीत श्रृंगार प्रियतम
कैसी मेरी बसन्त प्रियतम
तुम ही तुम पीत श्रृंगार मेरा
बस तुमको ढूँढ़ रही प्रियतम
कैसी मेरी बसन्त प्रियतम
हिय कुँज में तिमिर घना कबसे
बन पीत प्रकाश बसो प्रियतम
कैसी मेरी बसन्त प्रियतम
कैसी मेरी बसन्त प्रियतम
Comments
Post a Comment