कृपा की कोर
कृपा की कोर अब कर दो करुणामयी बरसाने वाली
हूँ निर्बल बल नहीं कोई कृपा तुम्हरी सौं बलशाली
नहीं कोई भक्ति न शक्ति नहीं कोई योग नहीं तप बल
तुम्हारा नाम भी भूली मलिन हृदय भरा बस छल
यही हृदय करूँ अर्पण यही मेरी निधि खाली
कृपा की कोर अब कर दो करुणामयी बरसाने वाली
हूँ निर्बल बल नहीं कोई कृपा तुम्हरी सौं बलशाली
तेरा ही नाम धन पाऊँ तेरा हरदम रहे चिन्तन
निर्धन हूँ लाडली कब से तेरी सेवा करूँ निशदिन
यही रहै कामना तेरी पूजा की होऊँ थाली
कृपा की कोर अब कर दो करुणामयी बरसाने वाली
हूँ निर्बल बल नहीं कोई कृपा तुम्हरी सौं बलशाली
कहाँ जाऊँ किसे टेरुं नहीं कोई ठौर अब पाऊँ
हा राधे ही टेरत टेरत निशिबासर मैं अकुलाऊँ
होऊँ तुम्हरौ ही जन प्यारी तुमहिं करो मेरी रखवाली
कृपा की कोर अब कर दो करुणामयी बरसाने वाली
हूँ निर्बल बल नहीं कोई कृपा तुम्हरी सौं बलशाली
कृपा की दृष्टि अब करदो स्वामिनी तुम्हीं बस मेरी
मेरी राधा मेरी प्यारी कहे बाँवरी दासी बस तेरी
करूँ अर्पण मैं अश्रु बस यही निधि मेरी आली
कृपा की कोर अब कर दो करुणामयी बरसाने वाली
हूँ निर्बल बल नहीं कोई कृपा तुम्हरी सौं बलशाली
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