नाम को स्वाद

हरिहौं रसना कबहुँ पावै नाम कौ स्वाद
कबहुँ हरिनाम लगै अति नीको छांड सब भोग मवाद
कबहुँ जग विषय लगै मोहे खारे साँची लागै हरिनाम कमाई
जन्म जन्म सौं निर्धन बाँवरी अबहुँ नाम गुरु कृपा सौं पाई
हरिहौं देयो बल हरिनाम भजन कौ बाँवरी कोऊ बल नाँहिं राखै
पकरि पकरि हरिनाम जपावो तबहुँ कछु नाम रस एह चाखै

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून