तू ही बता
*तू ही बता*
न तेरा पता पाया न समझा कुछ इशारा
आँखों से अब बहता है बस पानी खारा खारा
तू ही बता दे किस तरह दिल को मैं सम्भालूँ
नहीं मुझसे सम्भलता अब बेताब है दुबारा
किसको बताएँ हाल ए दिल कौन जाने बात क्या
बस दर्द वही जाने जिसे इश्क़ ने हो मारा
मीठी है यह जलन भी भरे कई तूफान भीतर
तेरा नाम लेकर रोये बिन होता नहीं गुज़ारा
हाय बड़ा मीठा मीठा दर्द है करते रहो इज़ाफ़ा
इसका नशा भी साहिब लगता है मुझको प्यारा
तेरे इश्क़ ने उठाये हैं तूफ़ान दिल में भारी
है उतनी ही लज़्ज़त इसमें जितना है दर्द करारा
आज डूबा दो मुझको साहिब इस इश्क़ के समंदर में
नहीं लौटना मुझको वापिस नहीं देखना किनारा
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