हाल ए दिल
खँजर चला के पूछते हैं क्या है हाल ए दिल मेरा
खुद ही गवाही देगा दिल क्या है हाल ए दिल मेरा
आँखे ही बोली आँखों से लफ़्ज़ों के दायरे सिमटे
फिर अश्क़ कहने दौड़ चले क्या है हाल ए दिल मेरा
बस वही इक मुलाकात ही पकड़ रही पल पल हमें
जाने यह कैसा दौर है क्या है हाल ए दिल मेरा
उस एक पल को छूने को सब पल मेरे सिमट रहे
वो तू या कोई और था क्या है हाल ए दिल मेरा
खामोश था सब एक दम कोई लहर उठी न थी
मैं खुद ही खुद से पूछती क्या है हाल ए दिल मेरा
जाने यह क्या तूफ़ान है बस जा रही अब जान है
पल पल है दिल पुकारता यही है हाल ए दिल मेरा
आँखों मे है वही अदा वही शोखियाँ हैं खिल रहीं
साँसे भी रुक रही हैं अब जाने क्यों तुझसे मिल रहीं
वो पल ही था कुछ मय भरा जो होश सब उड़ा गया
दिल ही गवाही देगा बस क्या है हाल ए दिल मेरा
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