बोझ अहम को भारी

हरिहौं बोझ अहम कौ भारी
दिन दिन बाढ़त दून सवाया हिय सौं न जाय निकारी
मद मत्सर विषय भोग वासना सब हिय आनि पसारी
नाम भजन कौ रुचि न उपजै भजन लगै अति खारी
बाँवरी फिरै जगति बौराई रही हिय मोह ममता डारी
कोऊ भाँति हरि भजन बनै न ताड़न कौ अधिकारी

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