रे मन
रे मन हिय धर श्रीयुगल चरणकमल
क्षण क्षण सुमिरै क्षणहुँ न बिसरै यहि सम्पति विपुल
सेवत सुख पावत निशिबासर यहि प्रेम कौ फल
श्रीयुगल चरण हिय धरै बाँवरी होवत मन निर्मल
सकल वासना हिय की छुटै मिलत नाम कौ बल
यहि अरजा करै गुरु चरण कमल सौं नासै घन तिमिर सकल
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