बरसाना
नमो नमो जय श्रीबरसाना होय कीर्ति कुँवरी कौ वास।
प्रकट भयो किशोरी राधा कियो निज लीला विलास ।।1।।
श्रीवृषभानु नन्दिनी राधा होय परम् प्रेम कौ सार।
जाकी एक कृपा अवलोकन कर देय भव सिन्धु पार ।।2।।
जन्म लियो महल बरसाना कियो अष्ट सखियन कौ सँग।
श्रीकृष्ण प्रेम आह्लादिनी राधा लिए नव नव प्रेम उमंग।।3।।
अष्ट सखी प्रकटी कुँवरी सँग, विलास बरसाना परिधि।
सब कौ प्राण एक किशोरी होय सर्व निधि कौ निधि।।4।।
कीर्ति मैया नित दुलरावै वृषभानु सदन कौ शोभा।
लाड़ सौं विलास करै लाड़िली देय परम् प्रेम कौ लोभा।।5।।
श्रीबरसाना नित्य धाम होय, नित्य आनन्द सुख की राशि।
नाम लिए एक बार जिव्हा सौं कल्मष सकल विनाशी।।6।।
बाँवरी रज नित्य शीश चढ़ावै देव दुर्लभ यह स्थान।
वेद पुराण न बनत अगोचर, देय रसिक वाणी प्रमाण ।।7।।
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