बाँवरी कन्टक

हरिहौं बाँवरी कन्टक सम होरी
कौन भाँति प्रभु सन्मुख आऊँ लाजत करूँ निहोरी
लाजत करूँ निहोरी नाथा भोग विषयन के कांटे
दिन दिन बढ़त दून सवाया हरिभजन सौं न छाँटे
कौन भाँति सन्मुख आऊँ नाथा कौन भाँति नयन उठाऊँ
अश्रु जल की माल पिरोई नाथा गल माला दिये पहराऊँ

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