बहने दो दर्द

आज बहने दो चन्द दर्दों को मेरे लफ्ज़ों में ही
रूह तलक यह दर्द ए जुदाई मुझे मालूम न हो

साँस चलती है या रुक गयी यह भी समझ न रहे
है गिनती जिंदा या मुर्दों में मुझे मालूम न हो

कब तलक जीते रहेंगें बिछड़कर तुमसे हम
😭😭😭😭

दर्द ए इश्क़ भी कुछ अजीब सा है

न यह दर्द सहा जाए
न यह दर्द कहा जाए

एक बार तो आकर सम्भाल लो मुझे
मुझमें तेरा ही कुछ मचलता है अंदर अंदर

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