तेरे सँग

क्षण क्षणकी प्यास
क्षण क्षण का सिसकना
तेरा नाम ले लेकर रोना
कभी छवि को निहारना
बस तेरी राह बुहारना
तुझसे दिन भर का बतियाना
कभी हँसना और कभी इठलाना
कभी तेरी छवि निहार निहार
खुद से ही खुद का शर्माना

कभी आहों का तूफान उठे
विरह की तीव्र अग्न जले
नयनों में सावन का मौसम
उठती तीव्र वेदना कभी हरदम
आह!!
जीना भी भारी सा लगता है
क्यों बोझ उठाया सांसों का
होना ही बेकारी लगता है

दुनिया से कितने बेगाने हुए
बस तेरे सँग ही जीते हैं
कभी खुशियों के दीप जलाते हैं
कभी अश्क़ दर्द के पीते हैं

हाँ प्यारे!!
बस तेरे संग ही जीते हैं

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