उनका नाम लिखते लिखते
उनका नाम लिखते लिखते आंखों में अश्क़ आ गए
कितनी मोहबत है उनको भी मेरे अश्क़ ही बता गए
उनसे बेगाने होकर हम उनको ही ढूंढते रहे
दिल में आशियाना उनका है दिल मे ही समा गए
उनका नाम लिखते लिखते .....
हमको खबर ही न हुई मुद्दत से दिल बेताब था
दिल मे बसे हुए हैं वो यह राज भी बता गए
उनका नाम लिखते लिखते .....
जाने क्या नज़र ढूंढती जाने क्या सुनने को बेताब दिल
खामोशियों में मेरी सब दिल की मुझे बता गए
उनका नाम लिखते लिखते .....
हाँ तुम ही हो बस मेरे मुझे क्या लग्न हो गैरों की
दिल मे ही है जब घर तेरा अपना पता बता गए
उनका नाम लिखते लिखते .....
अब मैं सुनती सदा उनकी खामोशियों में जो बहती
हर सांस मुझमें उनकी ही यूँ सांस बन समा गए
उनका नाम लिखते लिखते .....
मेरे लफ्ज़ मेरे ही न रहे खुद से भी गुमशुदा हुई
उनका जो भेद पाया तो मुझे मुझसे ही चुरा गए
उनका नाम लिखते लिखते आंखों में अश्क़ आ गए
कितनी मोहबत है उनको भी मेरे अश्क़ ही बता गए
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