तुमसे बिछड़ क्या हाल
तुमसे बिछड़ क्या हाल मेरा यह दिल जाने या अश्क़ मेरे
तस्वीर से न है सुकून मुझे यह दिल जाने या अश्क़ मेरे
क्या लिखेगी कलम दर्द रूह के भी यह कलम को भी इल्म नहीं
ज़ख्मों से खून जो रिसता है वह दिल जाने या अश्क़ मेरे
दर्दों के अब शौकीन हुए अच्छा है डूब ही जाएं हम
क्या दर्द उठा है रूह तलक या दिल जाने या अश्क़ मेरे
होता जो इश्क़ गर सच्चा आंखों में अश्क़ न भरे होते
दिल जार जार अब रोता है यह दिल जाने या अश्क़ मेरे
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