आज तेरे इश्क़ में
आज तेरे इश्क़ में हम ऐसे चूर हैं
तुम ही तुम घुल रहे ऐसा सुरूर है
मौसम ए इश्क़ में महबूब की सांसें
जो कयामत ढा गई की जुबान खामोश है
आज तो हवाओं में कुछ अजीब बात है
तेरी इक याद ही प्यारे कयामत बनकर आई है
एक तेरी याद ही मदहोश करती है हमें
तेरे मिलने का आलम क्या कहर बनकर आएगा
तुम्हारी सांसों की सरगम हवाओं को सुर्ख करती है
हवाओं में जो बिखरा है एहसास ए इश्क़ तुम हो
ये हवाओं में क्या घुल से रहा है
मदहोशी का आलम है और होश गुम
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