तुम्हारी सांसों से उठती
तुम्हारी सांसों से उठती खुशबू बिखरी मेरी सांसों में
मदहोशी का आलम है कि तुम में ही गुम हो गए हम
आज सांसों को बिखरने की इजाजत न देना
मेरे महबूब की खुशबू पिला रही मुझको
इश्क़ का मर्ज़ है प्यारे नाजुक सा दिल है
है तुम्हारा पास तुम्हारे मेरा होना अब मुश्किल है
तुम कहो तो सांसों को भी छूने की इजाज़त न दें
हमारी आशिकी के राज खोलती यह उखड़ती सांसें
बेनाम सा इश्क़ है उनका अब मेरी रग रग में
भला मदहोशी का भी कोई नाम हुआ करता है
इश्क़ कहूँ तुम्हें या कोई और नाम तेरा है
मेरे होकर मुझमें हो यही इनाम मेरा है
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